तूफानों से क्याडरना (कविता)

 ।। तूफानों से क्याडरना ।।

नफरत करना नहीं किसी से, प्यार सभी से करना जी,
तूफा तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।
हिम्मत करने वालों को, मिलती मदद सब लोगों की,
सत्कर्मों की तूलिका से, जीवन में रंग भरना जी ।

हार-जीत का खेल है जीवन, खेल समझकर खेलो,
जो भी मिलता, हाथ बढ़ाकर खुशी-खुशी तुम ले लो जब तक जियो, हँसकर जियो एक दिन सबकोजानाजी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।

धूप-छांँव जीवन का हिस्सा, कभी उजाला, कभी अंँधेरा,
रात हो चाहे जितनी लंबी, उसका भी है अंत सवेरा ।
समय एक सा कभी न रहता, थोड़ा धीरज धरना जी,
तूफा तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।

देह-अभिमान के कारण, देखो कितनी महामारी है,
सबको सच्ची राह दिखाना, अपनी जिम्मेदारी है ।
आत्म ज्ञान के दीप जलाकर, दूर अंधेरा करना जी,
तूफान तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।

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