जरा प्यार से बोलना सीख लीजे (गजल) । कक्षा ८ की गजल ।


 जरा प्यार से बोलना सीख लीजे (गजल) 



                                                                                  - रमेश दत्ता शर्मा




वाणी में शहद घोलना सीख लीजे,


जरा प्यार से बोलना सीख लीजे ।



चुप रहने के, यारों बड़े फायदे हैं,


जुबाँ वक्त पर खोलना सीख लीजे ।



कुछ कहने से पहले जरा सोचिए,


खयालों को खुद तौलना सीख लीजे ।



तू-तड़ाक हो या फिर हो तू-तू मैं-मैं,


अपने आप को टोकना सीख लीजे ।



पटाखे की तरह फटने से पहले,


रोशनी के रंग घोलना सीख लीजे ।





कटु वचन तो सदा बोते हैं काँटे,


मीठी बोल कर गुल रोपना सीख लीजे ।



बात बेबात कोई चुभने लगे तो,


बदलकर उसे मोड़ना सीख लीजे ।



यह किसी ने कहा होंठ सीकर के बैठो,


जरूरत पर मुँह खोलना सीख लीजे ।

Post a Comment

0 Comments