जरा प्यार से बोलना सीख लीजे (गजल)
- रमेश दत्ता शर्मा
वाणी में शहद घोलना सीख लीजे,
जरा प्यार से बोलना सीख लीजे ।
चुप रहने के, यारों बड़े फायदे हैं,
जुबाँ वक्त पर खोलना सीख लीजे ।
कुछ कहने से पहले जरा सोचिए,
खयालों को खुद तौलना सीख लीजे ।
तू-तड़ाक हो या फिर हो तू-तू मैं-मैं,
अपने आप को टोकना सीख लीजे ।
पटाखे की तरह फटने से पहले,
रोशनी के रंग घोलना सीख लीजे ।
कटु वचन तो सदा बोते हैं काँटे,
मीठी बोल कर गुल रोपना सीख लीजे ।
बात बेबात कोई चुभने लगे तो,
बदलकर उसे मोड़ना सीख लीजे ।
यह किसी ने कहा होंठ सीकर के बैठो,
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