उड़ान ।। चंद्रसेन विराट जी कि गजल ।।

।। पद्य सबधी ।।

गजल : गजल एक ही बहर और वजन के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है । इसके पहले शेर को मतला और अंतिम शेर को मकता कहते हैं ।

  प्रस्तुत रचनाओं में विराट जी ने स्वाभिमान , विनम्रता , हौसलों , बुलंदी , दूरदृष्टि जैसे अनेक मानवीय गुणों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है

— चंद्रसेन विराट 

अँधेरे के इलाके में किरण माँगा नहीं करते 
जहाँ हो कंटकों का वन, सुमन माँगा नहीं करते । 

जिसे अधिकार आदर का, झुका लेता स्वयं मस्तक 
नमन स्वयमेव मिलते हैं, नमन माँगा नहीं करते । 

परों में शक्ति हो तो नाप लो उपलब्ध नभ सारा 
उड़ानों के लिए पंछी, गगन माँगा नहीं करते । 

जिसे मन-प्राण से चाहा, निमंत्रण के बिना उसके 
सपन तो खुद-ब-खुद आते, नयन माँगा नहीं करते । 

जिन्होंने कर लिया स्वीकार, पश्चात्ताप में जलना 
सुलगते आप, बाहर से, अगन माँगा नहीं करते । 

**********


जिसकी ऊँची उड़ान होती है, 
उसको भारी थकान होती है । 

बोलता कम जो देखता ज्यादा, 
आँख उसकी जुबान होती है । 

बस हथेली ही हमारी हमको, 
धूप में सायबान होती है । 

एक बहरे को एक गूँगा दे, 
जिंदगी वो बयान होती है । 

तीर जाता है दूर तक उसका, 
कान तक जो कमान होती है । 

खुशबू देती है, एक शायर की,
जिंदगी धूपदान होती है ।

अगर आपको ये गजल पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिये और इससे जुड़ा आपका कोई भी सवाल हो तो कमेंट में जरूर बताएं।।

।।  धन्यवाद ।।

Post a Comment

0 Comments