।। पद्य सबधी ।।
गजल : गजल एक ही बहर और वजन के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है । इसके पहले शेर को मतला और अंतिम शेर को मकता कहते हैं ।
प्रस्तुत रचनाओं में विराट जी ने स्वाभिमान , विनम्रता , हौसलों , बुलंदी , दूरदृष्टि जैसे अनेक मानवीय गुणों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है
— चंद्रसेन विराट
अँधेरे के इलाके में किरण माँगा नहीं करते
जहाँ हो कंटकों का वन, सुमन माँगा नहीं करते ।
जिसे अधिकार आदर का, झुका लेता स्वयं मस्तक
नमन स्वयमेव मिलते हैं, नमन माँगा नहीं करते ।
परों में शक्ति हो तो नाप लो उपलब्ध नभ सारा
उड़ानों के लिए पंछी, गगन माँगा नहीं करते ।
जिसे मन-प्राण से चाहा, निमंत्रण के बिना उसके
सपन तो खुद-ब-खुद आते, नयन माँगा नहीं करते ।
जिन्होंने कर लिया स्वीकार, पश्चात्ताप में जलना
सुलगते आप, बाहर से, अगन माँगा नहीं करते ।
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जिसकी ऊँची उड़ान होती है,
उसको भारी थकान होती है ।
बोलता कम जो देखता ज्यादा,
आँख उसकी जुबान होती है ।
बस हथेली ही हमारी हमको,
धूप में सायबान होती है ।
एक बहरे को एक गूँगा दे,
जिंदगी वो बयान होती है ।
तीर जाता है दूर तक उसका,
कान तक जो कमान होती है ।
खुशबू देती है, एक शायर की,
जिंदगी धूपदान होती है ।
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