।। पद्य संबंधी ।।कव्वाली : कव्वाली का इतिहास सात सौ वर्ष पुराना है । कव्वाली एक लोकप्रिय काव्य विधा है । यह तारीफ या शान में…
।। पद्य सबधी ।। प्रस्तुत कविता में कवि ने शिशिर ऋतु में पड़ने वाली अत्यधिक ठंडक से परेशान प्राणियों, साधन संपन्न एवं अभावग्…
।। पद्य संबंधी ।। कृषक के जीवन पर प्रस्तुत गीत आधारित है । अन्नदाता कृषक की दुर्दशा का वर्णन करते हुए कवि उसका महत्त्व और स…
।। पद्य संबंधी ।। प्रस्तुत गजल के अधिकांश शेरों में वर्मा जी ने हम सबको जीवन में निरंतर अच्छे कर्म करते हुए आगे बढ़ने के लि…
।। पद्य संबंधी ।। मीराबाई के सभी पद उनके आराध्य के प्रति ही समर्पित हैं । आपके पदों का मुख्य स्वर भगवत प्रेम ही है । प्रस्तु…
।। पद्य सबंधी ।। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपने देश के गौरवशाली अतीत का सजीव वर्णन किया है । कवि का कहना है कि हमें अपने दे…
।। पद्य संबंधी ।।नई कविता : संवेदना के साथ मानवीय परिवेश के संपूर्ण वैविध्य को नए शिल्प में अभिव्यक्त करने वाली काव्यधारा है…
।। पदय संबंधी ।।कविता : रस की अनुभूति कराने वाली, सुंदर अर्थ प्रकट करने वाली, हृदय की कोमल अनुभूतियों का साकार रूप कविता है …
।। पद्य सबधी ।।गजल : गजल एक ही बहर और वजन के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है । इसके पहले शेर को मतला और अंतिम शेर को मकता कह…
।। पद्य संबंधी ।।कुंडली : यह दोहा और रोला के मेल से बनती है । कुंडली में दोहा के अंतिम पद को रोला का पहला चरण बनाना होता है …
।। पद्य संबंधी ।।कविता : रस की अनुभूति कराने वाली सुंदर अर्थ प्रकट करने वाली लोकोत्तर आनंद देने वाली रचना कविता होती है । इस…
।। पद्य संबंधी ।। नई कविता : आधुनिक संवेदना के साथ परिवेश के संपूर्ण वैविध्य को नए शिल्प में अभिव्यक्त करने वाली काव्यधारा …
।। पद्य संबंधी ।। प्रस्तुत गीत में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने माँ, कृषक, कलाकार, कवि, बलिदानी पुरुष एवं लोक के महत्त्व को …
।। पद्य संबंधी ।। प्रस्तुत दोहों में जहीर कुरैशी जी ने छोटे-बड़े के भेद मिटाने, नफरत, स्वार्थ आदि छोड़ने के लिए प्रेरित किय…
।। पद्य सबधी ।। प्रस्तुत नई कविता में कविवर डॉ. प्रकाश दीक्षित जी ने कर्म, ज्ञान एवं विज्ञान की महत्ता स्थापित की है । आपक…
पद्य संबंधी यहाँ संत कबीरदास ने अपने दोहों में मनुष्य को सद्गुणों को अपनाकर आगे बढ़ने को कहा है । भक्त सूरदास रचित यह पद &#…
🌀 ऐ सखि ! 🌀
— अमीर खुसरो
रात समय वह मेरे आवे ।भोर भए वह घर उठि जावे ।।
यह अचरज है सबसे न्यारा । ऐ सखि साजन ? ना सखि तारा…
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